Brain और Mind मे क्या अंतर है : चलिए इसे समझते हैं कि ब्रेन और माइंड क्या है, तो यहां पर हम लोग बात करते हैं
तो यहां मैंने, ब्रेन को समझाने के लिए एक नाम दिया है जिसे मैंने कहा है कि ब्रैंन
एक हार्डवेयर है और माइंड को मैंने समझाने की कोशिश की है कि माइंड एक प्रकार
से सॉफ्टवेयर का काम करता है हमारे बॉडी में , अब आप
पूछोगे कैसे तो चलिए इसे समझते हैं।
Discussion On Topic : Brain और Mind मे क्या अंतर है –
तो दोस्तों आज आमी कोर इंपॉर्टेंट टॉपिक पर बात करने वाले हैं जिसका नाम है ब्रेन
और माइंड में क्या अंतर होता है जिसे हम लोग कहते हैं ब्रेन मींस मस्तिक और माइंड
मींस मन, बहुत ज्यादा कंफ्यूजन है बहुत सारे लोगों को, या फिर उन्हें यह मालूम ही
नहीं है की ब्रेन और माइंड क्या है? सभी लोग सोचते हैं कि ब्रेन और माइंड एक ही है
cलेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है इसलिए हम अपने लाइफ में प्रॉपर तरीके से काम नहीं कर पाते,
तो चलो इसको समझते हैं की ब्रेन क्या है और माइंड क्या है, तो इससे पहले ही कुछ
स्टेटमेंट हम लोग देखते हैं जब हम लोग स्कूल में होते हैं तो बहुत सारे टीचर हमें बोलते हैं
कि बेटा मन लगाकर पढ़ाई करो या जब हम घर पर रहते हैं तो मम्मी बोलती है बेटा
मन लगाकर पढ़ाई करो मन लगाकर काम करो ऑफिस में जाते हैं तो बोस हमे कहते हैं
कि मन लगाकर काम करो, लेकिन कोई भी व्यक्ति यह नहीं बताता है कि मन है क्या
और इसे कैसे लगाना है और इसीलिए हम प्रॉपर तरीके से काम नहीं करते
हैं और कोई भी काम में अपना 100% नहीं देते हैं।
चलिए इसे समझते हैं कि ब्रेन और माइंड क्या है, तो यहां पर हम लोग बात करते हैं
तो यहां मैंने, ब्रेन को समझाने के लिए एक नाम दिया है जिसे मैंने कहा है कि ब्रैंन
एक हार्डवेयर है और माइंड को मैंने समझाने की कोशिश की है कि माइंड एक प्रकार
से सॉफ्टवेयर का काम करता है हमारे बॉडी में , अब आप
पूछोगे कैसे तो चलिए इसे समझते हैं।
आपने कंप्यूटर या लैपटॉप तो देखा ही होगा लैपटॉप की जो बॉडी होती है उसे
हम लोग छू सकते हैं टच कर सकते हैं तो वह क्या होता है हमारा हार्डवेयर अब आप अपने
ऑफिस में कंप्यूटर को देखो दूसरे ऑफिस में देखो पड़ोस में देखो लगभग एक ही समान
आपको दिखाई देगा लेकिन जब हम लोग सॉफ्टवेयर की बात करते हैं तो फिर बहुत
सारे चेंज आ जाते हैं अलग-अलग कंप्यूटर में या लैपटॉप में सॉफ्टवेयर की बात
करें तो क्या होता है जब हम लोग कंप्यूटर लाते हैं घर में,
तो कोई ना कोई सॉफ्टवेयर डालते हैं कि जैसे कि ms-office डाल दिया हमने
word डाल दिया exel डाल दिया , तो देखो एक कंप्यूटर में word भी है exel भी है ms – office भी है
power point भी है और बहुत सारे सॉफ्टवेयर भी है लेकिन एक ऐसा
कंप्यूटर है जिसमें कोई सॉफ्टवेयर नहीं है तो अब वैल्यू किसकी ज्यादा होंगी जिसमें
सॉफ्टवेयर है उसकी या जिसमें नहीं है उसकी, तो साफ्टवेयर वाले की होगी ।
अच्छा एक बात, की अगर आप मार्केट से सॉफ्टवेयर खरीद कर लेकर आओ
तो क्या आप को पता होता है कि वो कितना बड़ा होता है कौनसे कलर का
होता है कितने साइज का होता है तो क्या आपको मालूम है, नहीं मालूम है।
क्योंकि सॉफ्टवेयर को हम छू के नहीं देख सकते टच नहीं कर सकते , सॉफ्टवेयर
जो है उसे हम महसूस कर सकते हैं। याद रखना है कि यह जो हमारा ब्रेन है
इसको आप टच कर सकते हो देख सकते हो खोल कर देख सकते हो
इस पर बहुत सारी स्टडी भी हो चुकी है।
लेकिन हम लोग यहां पर बात करते हैं कि माइंड क्या है? तो मैंने बोला कि माइंड
एक सॉफ्टवेयर है जो कैसा है अदृश्य है जिसे हम देख नहीं सकते सिर्फ और सिर्फ
महसूस कर सकते हैं, अब हम लोग यहां पर बात करते हैं, तो बहुत सारे लोग अक्सर कहते रहते हैं
कि मेरा मन नहीं लग रहा काम करने में, तो मन कौन सा होता है, तो वह
होता है माइंड जिसे हम सॉफ्टवेयर बोल रहे हैं, और एक बात हम कहे तो बहुत सारे
लोग कहते हैं कि मन हमारे बॉडी में होता है चलो ठीक है आपने बोला कि बॉडी
में मन होता है, तो आप रिसर्च करो या फिर डॉक्टर से पूछो या किसी भी व्यक्ति से
पूछो हमारे पूरी बॉडी पार्ट में मन होता कहां है, आप मुझे बताइए कि मन कहां होता है
कमेंट करके बताना कि सर मन जो होता है वह बॉडी के इस पार्ट में होता है , जी बिल्कुल नहीं
मन जो होता है वह अदृश्य होता है जो दिखाई नहीं देता है ।
तो अभी तक हम समझे कि ब्रेन हमारा हार्डवेयर है, और माइंड हमारा सॉफ्टवेयर है
जो दिखाई नहीं देता है, तो अब आपको यह याद रखना है कि जो हमको
दिखाई नहीं देता है मतलब कि सॉफ्टवेयर या माइंड यही सबसे ज्यादा पावरफुल है।
तो अभी हमने एक एग्जांपल देखा था लैपटॉप और कंप्यूटर का तो इन्हे किसने बनाया तो
इंसान ने बनाया, इंसान ने कैसे बनाया किस का यूज़ करके बनाया तो माइंड का
यूज़ करके बनाया मतलब कि मन का यूज़ करके बनाया तो चलिए अभी समझते हैं ।
अगर हम बात करें मन (mind) की तो यह क्या होता है तो मन टू(2) टाइप के होते हैं
जिसमें से एक होता है कॉन्शियस माइंड जिसे हम हिंदी में चेतन मन कहते हैं, और दूसरा जो
होता है वह होता है अनकॉन्शियस/सबकॉन्शियस माइंड जिसे हम हिंदी में
कहते हैं अवचेतन मन।
तो अगर हम बात करें कॉन्शियस माइंड की तो जब भी हम पढ़ाई करते हैं या
कोई भी एक्टिविटी करते हैं या कोई भी एक्शन करते हैं तो वहां पर कौन सा माइंड
काम करता है तो वहां पर हमारा कॉन्शियस माइंड काम करता है मेरे ब्लॉग को
अभी आप पढ़ रहे हो तो कौन सा माइंड काम कर रहा है कॉन्शियस माइंड
बहुत एक्टिव तरीके से पढ़ रहे हो, अब मैं जो आपको यहां बात
बता रहा हूं वह आपके माइंड में चली जाएंगी
और फिर आप ब्लॉग नहीं भी पढ़ोगे फिर भी वह आपको बहुत दिनों तक याद
रहेगी अब ऐसा क्यों तो यहां पर काम करता है हमारा सबकॉन्शियस माइंड
मतलब कि अवचेतन मन। अब सबकॉन्शियस माइंड क्या होता है तो इसको हम लोग
कहते हैं data storage house यहां पर डाटा स्टोरेज होता है, इसे हम लोग
एक एग्जांपल के थ्रू समझते हैं हम लोगों के साथ स्कूल टाइम में बहुत सारे
फ्रेंड थे कई बार वह हमें अचानक से मार्केट में मिल जाते हैं तो एकदम से
हम उन्हें नहीं पहचानते लेकिन एकदम से हमारे माइंड में क्लिक होता है की यार
इसे मैंने कहीं देखा है हो सकता है कि वहां हमें तुरंत वही मार्केट में याद आ जाए और
वह सकता है कि हमें बाद में भी याद आ जाए क्योंकि डाटा को रिकवर होने के
लिए टाइम लगता है और अगर हमें याद आ भी जाए तो हमें उसका नाम
नहीं पता होता है
क्योंकि हमारा माइंड जो है वह टेक्स्ट को और नंबर्स को याद नहीं रखता है
वो इमेजेस को याद रखता है, तो हम लोगों को जो हमारा
फ्रेंड मिलाथा उसे तो हमने पहचान लिया लेकिन
नाम हमें याद नहीं रहता।
तो अब जब हम पढ़ाई करते हैं या कोई वर्क करते हैं यह हमें कोई चीज याद रखनी है
तो हमें क्या करना है किस पर वर्क करना है तो सब कॉन्शियस माइंड पर
अगर आप स्टूडेंट हो लाइफ में ग्रो करना चाहते हो सक्सेस होना चाहते हो या
कोई एग्जाम निकालना चाहते हो तो सबसे ज्यादा वर्क
आपको सबकॉन्शियस माइंड पर करना पड़ेगा।
हम एक ओर एग्जांपल देखा जाए अगर आप स्टूडेंट हो तो आपको
सुबह 4:00 बजे उठकर पढ़ने को बोला जाता है और वह इसलिए क्योंकि
साइलेंट वातावरण होता है कोई डिस्टरबेंस नहीं होती है और जो आप पढ़ते हो
वह सीधा डाटा आपके माइंड में जाता है
लेकिन स्टूडेंट कभी ऐसा करते नहीं है उनसे सुबह उठना ही नहीं होता है, लेकिन
अब वही पर उनको स्कूल में बोल दिया जाता है कि तुम्हें सुबह 4:00 बजे
उठकर 4:30 बजे तक स्कूल आना है क्योंकि हमारा स्कूल
पिकनिक पर जा रहा है
तो नींद खुलती है या नहीं खुलती है, जी बिल्कुल खुल जाती है और टाइम से पहले ही
खुल जाती है अब ऐसा क्यों, क्योंकि सोने से पहले आपने अपने आपसे कहा था कि
मुझे सुबह जल्दी उठना है तो डाटा कॉन्शियस माइंड से सीधा सबकॉन्शियस
माइंड में गया और आप समय पर उठ जाते हो। तो आपको यह याद रखना है
कि हमारे ब्रेन का मात्र 10% होता है
कॉन्शियस माइंड जिससे आप
अभी पढ़ रहे हो देख रहे हो लेकिन जो सबकॉन्शियस माइंड वह है 90% तो
सबसे ज्यादा आपको वर्क किस पर करना है तो सबकॉन्शियस माइंड पर करना है।
तो कब करना है कैसे करना है यह सब आप को आगे आने वाले
टॉपिक्स में पढ़ने को मिलेगा, ।
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