Thought कहा से आते है ? थॉट्स आते कहां से हैं हम बात करते
हैं किसी व्यक्ति की तो किसी व्यक्ति का जो mind है वह होता है एक इंटरनल world और हमारे
आसपास का जो एनवायरमेंट है मतलब कि हमारे आसपास का जो समाज है जो
सोसाइटी है और जो लोग हैं आसपास का जो एरिया होता है
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दोस्तों आज हम एक और इंपॉर्टेंट टॉपिक पर बात करने वाले हैं हमारे मन में थॉट आते
कहां से है पिछले पिछले टॉपिक में हमने बात की थी कि थॉट होते क्या है आज
हम बात करने वाले हैं कि थॉट आते कहां से है।
Thought कहा से आते है ?
तो चलिए समझने की कोशिश करते हैं कि हमारे mind में Thought कहा से आते है ? हम बात करते
हैं किसी व्यक्ति की तो किसी व्यक्ति का जो mind है वह होता है एक इंटरनल world और हमारे
आसपास का जो एनवायरमेंट है मतलब कि हमारे आसपास का जो समाज है जो
सोसाइटी है और जो लोग हैं आसपास का जो एरिया होता है उसे हम कहते हैं
एक्सटर्नल वर्ल्ड या फिर कह देते हैं आउटर वर्ल्ड, तो यह जो एक्सटर्नल
वर्ल्ड है इसमें बहुत सारे डिफरेंट डिफरेंट टाइप के event होते रहते हैं बहुत
सारी घटनाएं होते रहती है किसी ने किसी को मार दिया किसी ने किसी
का एक्सीडेंट कर दिया किसी को लग गई किसी को कुछ तो किसी को कुछ
किसी ने लाइफ में बहुत कुछ अचीव कर लिया किसी ने कुछ नहीं कोई
फेल हो गया कोई पास हो गया तो यह बहुत सारा इसमें होता है, तो यह
जो सारे इवेंट्स है यह कहां जाते हैं यह जाते हैं हमारे
इंटरनल वर्ल्ड में मतलब कि हमारे mind में, तो अब सवाल यह है कि
आखिर यह जाता कैसे तो दोस्तों कुछ सोर्स है।
विजुअल सेंस –
जिसकी वजह से जो एक्सटर्नल डाटा हमारे इंटरनल वर्ल्ड में
जाता है तो दोस्तों इसमें जो सबसे पहले सोर्स है वह है विजुअल सेंस
विजुअल सेंस मतलब कि हमारी आंखें हमारी आंखें जो देखी है अच्छा
दिखती है बड़ा देखी है जो भी एक्सटर्नल वर्ल्ड में घटनाएं होती है उन्हें
हमारी आंखों देखी है और फिर वही देखी हुई इनफॉरमेशन हमारे
इंटरनल वर्ल्ड मतलब कि हमारे mind में जाती hai , जैसे बहुत सारे
लोग इंस्टाग्राम फेसबुक व्हाट्सएप बहुत सारे सोशल मीडिया चलते
हैं दिनभर चलते हैं तो सारी इनफार्मेशन उनके mind में आ जाती है
और वह जैसी चीज देखते हैं वैसे ही बनते चले जाते हैं अगर वह
खराब वीडियो देख रहे हैं तो वह भी खराब बनते चले जाते हैं अगर
वह अच्छे वीडियो देख रहे हैं तो वह भी अच्छे बनते चले जाते हैं
ऑडियो सेंस –
इसके बाद हम बात करते हैं अगले सोर्स की जो है ऑडियो सेंस
मतलब कि हमारे ईयर के द्वारा मतलब की कान के द्वारा जो भी हम
लोग सुनते हैं अच्छा सुनते हैं बुरा सुनते हैं जो भी हम सुनते जो एक्सटर्नल
वर्ल्ड में हो रहा है तो यह सारी घटनाएं हमारे इंटरनल
वर्ल्ड मतलब कि हमारे mind में जाती है।
टच सेंस –
इसके बाद नेक्स्ट सोर्स है टच सेंस मतलब की हमारे स्किन के द्वारा अब जैसे
आप बहुत बार कहीं नेचुरल प्लेस पर जाते हो जैसे कहीं पहाड़ों पर झरनों पर
या किसी नदी पर तो वहां होता क्या है कि आपको वहा कि हवा स्पर्स करती है तो बहुत अच्छा फीलिंग
आती है और आप एनर्जेटिक हो जाते हो अगर मैं वही बात करूं जैसे आप
अगर कहीं किसी कूड़े कर कर किसी गंदे नालिया नाले के पास जाओ तो तुम्हें
एक बुरा फिलिंग आएगी।
स्मेल सेंस –
इसके बाद हम बात करें अगले सोर्स की तो वह है smell सेंस मतलब कि हमारी
नाक द्वारा आपने देखा होगा कि कई बार हम नाक से सूँघ के बता देते हैं कि
हमारे घर में क्या बना होगा आलू गुंडे बने हैं बड़े-बड़े हैं समोसे बने हैं मिठाई
बनी क्या बना है हम बता देते हैं। इसी की जगह अगर मैं बात करूं किसी गंदे
नाले या नाली की तो अगर वहां जाकर हम खड़े होते हैं तो हमें बहुत गंदी स्मेल
आती है और हम वहां से भाग जाते हैं, क्योंकि नोज के द्वारा
भी हमारे mind में मतलब कि हमारे इंटरनल वर्ल्ड में एक इनफॉरमेशन जा रही है।
टेस्ट सेंस –
इसके बाद हम बात करते हैं अगले सोर्स की तो वह होता है हमारा टेस्ट सेंस
जो की होता है हमारी tongue (जीभ) द्वारा बहुत सारी सब्जियां होती है जो कुछ
हमें पसंद होती है और कुछ पसंद नहीं होती है तो आपको यह कैसे पता चला कि
आपने उसे टेस्ट किया तो अगर चीज सब्जी का टेस्ट आपको अच्छा लगा वह
सब्जी आपके लिए अच्छी हुई है और जिसका टेस्ट अच्छा नहीं लगा वह सब्जी
आपके लिए अच्छी नहीं हुई इसी प्रकार खान की बहुत सारी चीजें है जैसे अगर मैं
बात करूं करेले की तो आपने कभी खाया हो या नहीं खाया हो लेकिन आपने सुना
जरूर होगा कि करेला कड़वा बहुत होता है बहुत अजीब और बेकार टेस्ट होता है
इसका तो आप उसे खाना बंद कर देते हो और कई बार तो यह होता है कि
आप खाते भी नहीं है करेले को और उसके पहले ही
उसे देखकर मुंह बनाने लगते हो।
Thought कहा से आते है ? – 5 सेंसेस –
तो दोस्तों यह जो सेंसेक्स मैंने आपको बताया इन्हें हम कहते हैं फाइव 5 सेंसेस
क्योंकि जो भी हमारे एक्सटर्नल वर्ल्ड में घटनाएं होती है वह हमारे इंटरनल वर्ल्ड
में जाती है वह भी किसकी मदद से फाइव 5 सेंसेस की मदद तो दोस्तों यही सेंसेक्स
होते हैं जिसकी मदद से इनफॉरमेशन यहां से वहां इधर से उधर एक
व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक जाती है और यह जो फाइव सेंसेज होते हैं
इन्हें हम पांच इंद्रियों भी कहते हैं और इसी के द्वारा हम कर्म
करते हैं इसी के द्वारा हम अच्छा दिखते हैं बड़ा दिखते हैं अच्छा
सुनते हैं बुरा सुनते हैं अच्छा खाते हैं बुरा कहते हैं अच्छी जगह उठते
बैठते हैं बुरी जगह उठते बैठते हैं तो यह जो फाइव सेंसेज है हम
सारा काम इसी की मदद से करते हैं इसलिए हम
इसे कर्मेंद्रिय भी कहते हैं।
what is focus ?
तो दोस्तों अगर आपने इन पर काबू कर लिया इनको वश में कर लिया
तो आप सारे काम कर सकते हो
जैसे अगर मैं बात करूं कि आप काम तो करना चाह रहे थे लेकिन
आपके घर में अच्छे-अच्छे पकवान बने हैं तो आपने सोचा कि
अब आज काम पर नहीं जाता हूं पहले तो आज खाऊंगा क्योंकि
पकवान बहुत अच्छे बने हैं फिर काम पर जाऊंगा या फिर
जाऊंगा भी नहीं हो सकता है खाने के बाद बहुत आलसी आ
जाती है, या फिर हम बहुत बार काम करना चाहते तो है लेकिन
कभी-कभी हम सोशल मीडिया देखने लग जाए तो उसमें हमें
बहुत अच्छे वीडियो दिख जाते हैं तो हमारा काम रुक जाता है,
अगर हम कभी किसी बहुत इंपॉर्टेंट काम से जा रहे हो और हमें
रास्ते में कुछ बहुत इंटरटेनमेंट और एक्सीडेंट जैसा कुछ
दिख जाए तो हम रुक जाते हैं, तो इसीलिए दोस्तों आपको
इन सारे सेंसेक्स पर काम करना बहुत जरूरी है तभी हम
लाइफ में सक्सेस हो पाएंगे क्यों, क्योंकि जब हम फाइव
सेंसेक्स पर काम करेंगे हम तभी काम कर पाएंगे तब ही
हमारी कर्मेंद्रिय प्रॉपर तरीके से वर्क कर पाएगी, दोस्तों इसमें
देखने वाली बात यह है कि एक्सटर्नल वर्ल्ड में बहुत सारी
घटनाएं होती है जो इंटर कहां करती है हमारे इंटरनल
वर्ल्ड में और फिर हमारा इंटरनल वर्ल्ड ऐसे ही होते चला
जाता हैं, इसीलिए आप नॉलेज चीज देखो नॉलेजबल लोगों के
साथ रहो नॉलेज चीज सुनो और उनके साथ समय बताओ,
अगर आप कुछ नहीं करोगे नॉलेज चीज सुनोगे भी नहीं समझोगे
भी नहीं केवल समय ही उनके साथ बिताओंगे तो टच सेंस के द्वारा
आपके अंदर बहुत सारी इनफार्मेशन बहुत सारी एनर्जी बहुत सारी
अच्छी वाइब्रेशंस आपके इंटरनल वर्ल्ड मतलब कि आपके
mind में चली जाएगी,
Brain और Mind मे क्या अंतर है ?
और आपका इंटरनल वर्ल्ड ऐसे ही बनते
चला जाएगा, दोस्तों अब बहुत बार होता है यह है कि एक्सटर्नल
वर्ल्ड में जो घटनाएं घट रही है वह घटनाएं इंटरनल वर्ल्ड में जाने से
पहले ही उसमे बहुत सारे चेंज आ जाते हैं, जैसे कई बार आपने
आपके दोस्त से कुछ और कहा और वह जब किसी तीसरे व्यक्ति
को बता रहा है तो वहां और कुछ बता रहा है। जैसे मैं आपको
एक एग्जांपल के थ्रू बताता हूं की पांच दोस्त थे वह एक शादी
के इवेंट में गए और जब वह शादी से लौटे और पांचो दोस्तों को
पूछा गया की शादी में क्या हुआ तो पांचो दोस्तों ने अपने
अलग-अलग सुझाव दिए जबकि वह तो एक ही शादी में गए
थे एक ही इवेंट में गए थे तो ऐसा क्यों हुआ क्योंकि एक्सटर्नल
वर्ल्ड में तो एक ही इवेंट था लेकिन इंटरनल वर्ल्ड में आने के
बाद इवेंट चेंज हो गए तो ऐसा क्यों हुआ कि हम
आगे आने वाले टॉपिक में बात करेंगे।
Process –
इसके बाद हम बात करते हैं जैसे mind में या इंटरनल वर्ल्ड में कोई भी सिग्नल
आते हैं तो यह सिग्नल जाते हैं हमारे ब्रेन तक और ब्रेन में होते हैं न्यूरॉन्स और न्यूरॉन्स
के द्वारा यह सिग्नल कहां जाते हैं यह जाते हैं बॉडी के पास और बॉडी पास जाने के
बाद बॉडी में physiological changes आते हैं जैसे घर में बात करूं करेले की
तो जैसे ही आप करेला शब्द सुनोगे तो आपकी फिजियोलॉजी चेंज हो जाएगी
और आप नाक में बनाने लगेंगे, उसी प्रकार अगर आप शादी में गए
और किसी दोस्त ने बोल दिया आपको की बड़ा bhadda दिख रहा है
भाई यह कौन से तरह के कपड़े पहन के आ गया तू तू बहुत बेकार
लग रही है कौन सी ड्रेस पहन की तुने तो आपका मुंह बन जाएगा और
आपका फेस ऐसा लगेगा जैसे आप बहुत ही sad हो , लेकिन इसी
की जगह अगर आपने बहुत अच्छी ड्रेस नहीं पहनी है आप नॉर्मल ही
शादी में गए और वहां आपको पांच लोगों ने बोल दिया कि अरे वह
हम तो बहुत अच्छे लग रहे हो कितनी अच्छी ड्रेस है तुम्हारी तो तुम्हारे
चेहरे के एक्सप्रेशंस बदल जाएंगे तुम्हें बहुत खुशी महसूस होगी तो
दोस्तों एक थॉट की वजह से हमारे अंदर फिजियोलॉजिकल चेंज आ
जाते हैं , तो दोस्त हुआ क्या की एक्सटर्नल वर्ल्ड से इनफॉरमेशन गई
हमारे इंटरनल वर्ल्ड में फिर इंटरनल वर्ल्ड से कहां गई बैरन में
और ब्रेन से कहां गई वह बॉडी में और फिर
हमारे बॉडी में फिजियोलॉजिकल चेंज आए ।