हमारा Mind कैसे काम करता है : हमारा माइंड काम कैसे करता है तो इसे समझना हमारे लिए बहुत
जरूरी है क्योंकि हमारा माइंड ही डिसाइड करता है कि हमें लाइफ में सफलता
हासिल करनी है या असफलता तो चलिए इस टॉपिक को शुरू करते हैं।
Discussion On Topic : हमारा Mind कैसे काम करता है
तो दोस्तों आज हम एक ओर इंपॉर्टेंट टॉपिक पर बात करने वाले हैं जिसका नाम है
कि हमारा माइंड काम कैसे करता है तो इसे समझना हमारे लिए बहुत
जरूरी है क्योंकि हमारा माइंड ही डिसाइड करता है कि हमें लाइफ में सफलता
हासिल करनी है या असफलता तो चलिए इस टॉपिक को शुरू करते हैं।
तो होता यूं है कि पर डे मतलब हर दिन हमारे माइंड में लाखों थॉट रिसीव
होते हैं पर डे होता यूं है कि हम लाखों लोगों से मिलते लाखों नहीं फिर भी हजारों
सैकड़ों या कुछ लोगों से मिलते ही हैं लाखो मैं इसीलिए बोला क्योंकि
मिलते नहीं है लेकिन दिखते जरूर है और कहीं ना कहीं
से वह थॉट हमारे माइंड में इंटर कर जाते हैं,
यहां पर होता क्या है कि बहुत सारे थॉट हमारे माइंड में रिसीव होते हैं
और जैसे ही थॉट हमारे माइंड में रिसीव होते हैं उसी के अकॉर्डिंग हमारा
बिलीव सिस्टम बन जाता है, और बिलीफ सिस्टम बनने के बाद हमारे ब्रेन में एक.
प्रोसेस चलने लगती है, तो कौन सी प्रोसेस चलती है तो
उस प्रोसेस का नाम है filtration की प्रोसेस,
अब जैसे ही फिल्ट्रेशन होता है तो हमारे ब्रेन में फिर एक थॉट क्रिएट होता है
और अगर हम लोग बात करें कि जैसे ही थॉट क्रिएट होता है हमारे
ब्रेन में वैसे ही हम लोगों को फीलिंग आती है और जैसे ही हमारे बॉडी या ब्रेन में
फीलिंग आती है हम लोग वैसे ही एक्शन लेते हैं और आपको अच्छी तरह मालूम है
कि जैसा हम एक्शन लेते हैं हम लोगों को रिजल्ट भी वैसे ही मिलते हैं।
अब इस पूरी प्रोसेस को हम एग्जांपल की तरह समझते हैं
जैसा कि हमने बात की कि पर डे हमारे माइंड लाखों थॉट आते हैं जैसा
कि हम बात करें तो अगर हम जैसे ही घर से निकलते हैं तो निकलते समय
कहीं दुकान पर कहीं चौपाटी पर या कहीं मार्केट में बहुत लोग तरह-तरह की
बातें करते हैं कुछ अच्छी बातें करते हैं, कुछ गालियां देते हैं तो
क्या हुआ आपके कानों में इंटर नहीं करेंगे, बिल्कुल करेंगे
अब एक और चीज मैं आपको बता दूं यह जो डाटा है जो हमारे बॉडी में
हमारे माइंड में इंटर कहां से होता है, तो इस बारे में पहले ही हम एक
टॉपिक में बात कर चुके हैं अगर आपने वो टॉपिक नहीं पढ़ा है
तो जाकर उसे पढ़िए , तो हम बात करें कि डाटा हमारे
माइंड में आता कहां से हैं तो ये आता है
हमारे फाइव सेंसेज से
आंख, कान, नाक, हमारी टंग मतलब जीभ और हमारी त्वचा तो इन फाइव सेंसेज
के द्वारा सारा डाटा हमारे माइंड में इंटर हो जाता है।
अब जैसे ही थॉट रिसीव हुए वैसे ही हमारा बिलीफ सिस्टम बन जाता है तो हम
इसे भी एग्जांपल के थ्रू समझते है
अब जैसा कि हम बात करें तो अगर आपको कोई बोलता है कि
आपको लव मैरिज करना अच्छा है या अरेंज मैरिज,
अब हुआ क्या कि जैसा आपको लोगों ने बताया गया है आपका बिलीफ
सिस्टम वैसा ही बना है अगर आपको बोला गया है कि, लव मैरिज बेकार है तो
आपका बिलीफ सिस्टम बन गया है कि लव मैरिज बेकार है।
तो आप कभी लव मैरिज करने के बारे में सोचेंगे भी नहीं अभी बिलीफ
सिस्टम बना नहीं अभी बिलीफ सिस्टम क्रिएट हो रहा है यहां
पर एक प्रोसेस चलती है जिसको हम फिल्ट्रेशन बोलते हैं तो वही
एग्जांपल हम देखते हैं कि आपको लोगों ने पहले से बोल कर रखा था कि
लव मेरिज अच्छी नहीं होती है वगैरा-वगैरा और बहुत सी बातें
तो अब हुआ यू कि आपको किसी से लव हुआ,
और आपका पार्टनर कहता है कि मुझे अब लव मैरिज करनी है
अब अगर ऐसा कोई थॉट माइंड में inter हुआ तो अब वहां फिल्ट्रेशन की
प्रोसेस लगेंगी कि क्या यह सही है या गलत है अब यह फिल्ट्रेशन किस
आधार पर लगेगा, यह लगेगा हमारे बिलीफ सिस्टम के अकॉर्डिंग अब जैसे
हमारा बिलीफ सिस्टम है, स्ट्रांग है या लूज है वैसे ही फिल्ट्रेशन की
प्रोसेस में फिल्टर हो जाएगा और अब जैसी आपकी सोच है और
जैसा आपका बिलिफ सिस्टम है
उसके अकॉर्डिंग एक थॉट क्रिएट हो जाएगा अगर आपको बोला गया है
कि लव मैरिज बेकार है तो आपके माइंड में वही थॉट क्रिएट हो जाएगा
की हां लव मैरिज बेकार है और लव मैरिज लाइफ में कभी नहीं करनी चाहिए
तो यहां आपका थॉट क्रिएट हो गया अब आपको वैसे ही फीलिंग आयेगी
कि लव मैरिज बेकार है वगैरा-वगैरा। लव वाली तो फिलिंंग ही नही आयेंगी,
तो फीलिंग कैसी आई बेड आई, अब जैसे ही आपको फीलिंग आयेगी वैसा ही
आप एक्शन लोगे मतलब यह है कि आप लव मैरिज नहीं करोगे, अब
रिजल्ट भी वैसे ही आएगा कि जब आपने मैरिज की ही नहीं तो क्या
लव मैरिज हो जाएंगी, नही होंगी तो लास्ट रिजल्ट यही रहेगा।
अब सबसे बड़ा सवाल यह देखने को मिलता है या या बहुत से लोगो के बीच
सुनने को मिलता है अगर आप गलत एक्शन लोगे तो रिजल्ट
भी गलत आएंगे और सही एक्शन लोगे तो रिजल्ट भी
सही आएंगे फिर भी लोग गलत एक्शन क्यों लेते हैं जब पता होता है कि
सिगरेट पीने से हेल्थ खराब होती है फिर भी लोग क्यों पीते है या पता है
की सक्सेस होने के लिए लर्न करना जरूरी है फिर भी लोग लर्न नहीं
करते हैं तो अब इसका रीजन क्या है तो इसका रीजन सिंपल सा है लोग
गलत एक्शन क्यों लेते हैं तो लोग गलत एक्शन इसीलिए लेते हैं क्योंकि उनका
बिलीफ सिस्टम जो है वह सही नहीं है बचपन से ही वह बिलीफ सिस्टम गलत है।
अगर मैं आपसे एक क्वेश्चन पूछूं कि भगवान होते हैं या नहीं होते हैं तो
ईसमें से कुछ लोग हां कहेंगे और कुछ लोग ना अब जिनका जैसा बिलीफ
सिस्टम जैसा बना होगा वह उसी के अकॉर्डिंग आंसर देंगे।
और भगवान होते हैं या नहीं होते हैं इस बारे में हम इसके पहले वाले
टॉपिक में ही बात कर चुके है तो अगर आपने टॉपिक
नहीं देखा है तो आप उसे देख सकते है ।
तो अगर आप इस ब्लाॅॅग का विडियो देखना चाहते है और (हमारा Mind कैसे काम करता है) को समझना चाहते है तो निचे दिए गए लिंक पर क्ल्कि करें –
THANKS FOR READING