DISCUSSION ON TOPIC : ईमोशन\EMOTIONS
जीवन में हमे इमोशंस को कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। वर्ना कई बार हम
इमोशनली होकर बहुत ज्यादा गलत एक्शन ले लेते है, जिसकी वजह से बहुत
ज्यादा प्रॉब्लम्स आ जाति है, जिसकी वजह से हम अपनी लाइफ में हमेशा दुखी रहते है ,
इसलिए बहुत सारे ज्ञानी लोग कहते है की जब हम लोग बहुत ज्यादा खुश हो या बहुत
ज्यादा दुखी हो या बहुत ज्यादा गुस्से में हो या फिर बहुत ज्यादा डरे हुए हो ,तब
हमे बुद्धि से काम लेना चाहिए और बहुत ही सोच समझ के कोई भी एक्शन लेना चाहिए
वर्ना हम लोग कोई भी गलत एक्शन ले लेते है जो हमारे लाइफ के लिए बिल्कुल भी सही नही होता है।
तो चलिए समझते हैं की इन इमोशंस को कंट्रोल कैसे किया जा सकता है। इमोशंस को कंट्रोल करने
के लिए हमे समझना होंगा की इमोशंस होते कितने प्रकार के है –
1).हैप्पीनेस /खुशी–
आप ऐसे बहुत सारे लोगों को जानते होंगे जो अपनी पर्सनल लाइफ में बहुत ज्यादा
कंजूस होते है। लेकिन जब उनके यहां कोई फंक्शन होता है, तब आप उनसे
दस रुपए मांगे तो वह सौ रुपए देते है, इसका कारण एक ही हैं , की उनके उपर
हैप्पीनेस का इमोशन हावी होता है। और जब भी कोई इमोशन, हम पर हावी होता है ,
तो हमारी बुद्धि बिल्कुल भी काम नहीं करती है।
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2).सेडनेस/उदासी –
3).एंगर/गुस्सा –
4).Fear/डर –
यह इमोशन कभी भी हमें अपने लाइफ में आगे नहीं बढ़ने देता है, जैसे– हम कोई बिजनेस कर
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5).सरप्राइज/हैरानी –
Happiness
6).Disgust/घृणा –
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Meditation
तो देखिए मेडिटेशन एक स्किल है, जिस तरह साइकिल चलाना एक स्किल है जब हम
लोगों ने फर्स्ट बार साइकिल चलाई थी, तो हम लोगों ने चलाना नहीं सिखा था, हम गिर गए थे,
फिर कुछ टाइम चलाते गए चलाते गए गिरते गए लेकिन एक दिन ऐसा आया की हम साइकिल
चलाना सीख गए। अब सालो हो गए हैं हमने साइकिल नहीं चलाई है, लेकिन फिर भी हम
साइकिल चलाना नहीं भूले हैं। तो उसी तरह मेडिटेशन 1 दिन, 2 दिन, 5 दिन, 10 दिन,
से नहीं होंगा लेकिन जब हम इसे रेगुलर करते रहेंगे करते रहेंगे एक महीने बाद, 2 महीने बाद,
3 महीने बाद हम इसमें परफेक्ट हो जाएंगे और जिस दिन हम मेडिटेशन करने में परफेक्ट हो गए,
तो जो हमारा माइंड है वह हमारे विचारों का ख्याल रखता है।
अब आप पूछेंगे कैसे? हमारे पास 2 टाइप के माइंड होते हैं– कॉन्शियस माइंड मतलब की
चेतन मन, और दूसरा होता है सबकॉन्शियस माइंड मतलब कि अवचेतन मन तो
चलिए इसे समझते हैं कि यह कैसे काम करते हैं–